बुधवार, 22 जनवरी 2020

लोधी राजपूतों को महाराज छत्रसाल ने "रावत" की उपाधि प्रदान की

*इतिहास के झरोखे से* 


मेरे गांव के पास एक गांव है जराखर, महोबा , वहां के लोधी राजपूतों को महाराज छत्रसाल ने "रावत" की उपाधि प्रदान की थी। रावत की उपाधि प्रदान करने के पीछे ऐतिहासिक घटना इस प्रकार है -  एक बार मुगल सेना महाराज छत्रसाल पर आक्रमण करने के लिए पन्ना जा रही थी।  रात्रि हो जाने के कारण सेना ने गांव के बाहर पड़ाव डाल दिया । जब गांव के लोधी राजपूतों को पता चला तो उन्होंने रात में ही सेना पर आक्रमण कर दिया और सेनापति का सिर काट कर अगले दिन सवेरे पन्ना दरबार में महाराज छत्रसाल को भेंट किया। 


महाराज छत्रसाल ने प्रसन्न होकर जराखर के लोधी राजपूतों को "रावत" की उपाधि प्रदान की रावत का अर्थ होता है वीर ! इसके साथ ही खड़ी तंजीम की प्रतिष्ठा भी प्रदान की । और राजाज्ञा जारी की कि जब भी कोई जराखर गांव का लोधी राजपूत पन्ना दरबार में आएगा तो राजा स्वयम सिंहासन से खड़े होकर  उनका सम्मान करेगा। रावत की उपाधि मिलने के बाद से आज तक जराखर गांव के लोधी राजपूतों को सम्मान पूर्वक रावत कहकर पुकारा जाता है।


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                                                                        प्रस्तुति : डॉ बीके लोधी



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